Sunday, 14 June 2009

चश्माए महताब से रात के आने का इंतजार

.सोचा तो था कि इस बार कुछ गंभीर राजनीतिक विषय ही रहेगा। चिंतन भी उसी पर चल रहा था और अध्ययन तो और भी ज्यादा गंभीर विषय पर चल रहा है....लेकिन इस बीच मानसून में विलंब की खबर ने बेचैन कर दिया। अब ना तो खेती से कोई लेना-देना है और ना ही जल संकट के पीड़ित हैं....फिर भी इस तरह की बेचैनी का कारण क्या है, ये अभी तक पकड़ में नहीं आया है। बस ये है और पता नहीं कब से?
आषाढ़ दिन दर दिन बढ़ रहा है और आसमान की पेशानी एकदम साफ है....। मौसम विभाग हर दिन अपनी घोषणा बदल रहा है और ज्योतिषी इन दिनों पता नहीं कहाँ जा छुपे हैं। अभी दो दिन पहले बादलों का झुरमुट यूँ ही तफरीह करता दिखा जरूर था....लेकिन रूकने और बरसने का उसका कोई मूड नजर नहीं आ रहा था। जेठ इतना घना हो गया कि उसकी छाया में आषाढ़ पनप ही नहीं पा रहा है.....गर्मी से ज्यादा उमस से बेचैनी है....पढ़ा-सुना है कि जब गर्मी बेचैन करने लगे और सारी उम्मीदें मुरझा जाए तो बस समझें कि बारिश करीब है.....बिल्कुल वैसे ही जैसे जब रात का सबसे अंधियारा पल हो तो समझें कि बस सुबह करीब है...। यहाँ फैज याद आते हैं
गुम हुई जाती है अफ्सुर्दा सुलगती हुई शाम
धुल के निकलेगी अभी चश्माए महताब से रात
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इस बीच पाखी में छपी कहानी के लिए आ रहे फोन और एसएमएस से मैं अभिभूत हूँ... अखबार में कई बार लिखा छपा लेकिन जिस तरह का रिस्पांस इस कहानी के लिए मिला उसे व्यक्त करने के लिए शब्द नहीं है...। शुक्रवार रात जब घर पहुँची... तो एक पत्र मेरे नाम आया था.... यह बीकानेर के 70 वर्षिय सज्जन का था। कहानी के संदर्भ में उनकी प्रतिक्रिया से भीगने का क्रम जारी है। चाहे अखबार के पाठक ज्यादा हो, लेकिन जैसी प्रतिक्रिया किसी पत्रिका में प्रकाशित होने पर मिलती है, वैसी और कहीं से नहीं.....। खैर फिलहाल तो चश्माए महताब से रात के आने (आषाढ़ के भीगने...में भीगने) का इंतजार है।

8 comments:

  1. पत्रिका के प्रतिक्रिया के बारे में ठीक कहा आपने। वैसे इस मौसम में किसे भींगने का इन्तजार नहीं होता?

    सादर
    श्यामल सुमन
    09955373288
    www.manoramsuman.blogspot.com
    shyamalsuman@gmail.com

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  2. amit jee bahut bahut badhaaI aur shubhkamnayen

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  3. हमारी ओर से भी बधाई स्वीकार करें.

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  4. sahi hai pahli warish bahut sari khwahiso ko jagati hai............bahut sundar

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  5. फैज़ साहेब की पंक्तियाँ प्रयोग कर आपने इसमें अलग ही जान डाल दी है, बधाई.

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  6. amitaji,you r living full of life.

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