Wednesday 13 January 2010

मकर संक्रांति की शुभकामना


माघ का मध्य है...पारंपरिक रूप से सर्दी की विदाई का समय आ पहुँचा है। अब यदि क्लाइमेट चेंज का असर हो तो हो सकता है लगातार सींक होता जा रहा सर्दी का मौसम थोड़ा-सा फैल जाए और होली तक अपने पंडाल को खींच ले जाए.....लेकिन....हमेशा ऐसा नहीं होता है। फिर यदि ऐसा हुआ तो वैज्ञानिक इसे हिमयुग की शुरूआत कहने लगेंगे। जैसा कि दो साल पहले जब जनवरी के तीसरे सप्ताह से शुरू हुई सर्दी फरवरी के अंत तक चली और इसी दौरान पूरे यूरोप में भी भारी बर्फबारी हुई थी। असल में प्रकृति हमारे लिए अभी भी एक बड़ा रहस्य है। तभी तो कभी कहा जाता है कि पृथ्वी गर्म हो रही तो कभी माना जाने लगता है कि हिमयुग की शुरूआत हो रही है।
खैर विज्ञान हमारे विचार का विषय नहीं है। थोड़ी खुनक भरी रात है, आसपास से आ रहे लोहड़ी के खनक भरे उल्लास की ताल है....तो तिल के सिंकने की तेज खुशबू भी.... चाहे हम जानें या न जानें....त्योहार का उल्लास सुबह के मुखड़े पर नजर आ ही जाता है। कल धरती एक नए एंगल से सूरज का सामना करेगी। कल से सूरज कुछ ज्यादा उदात्त होगा... सुबह सुनहरी, दिन रेशमी और शाम सतरंगी होगी....रात थोड़ी सिकुड़ेगी....सूरज उत्तरायण जो होगा....। थोडा़ मौसम भी करवट लेगा....प्रकृति अपना आवरण बदलेगी... शहरों में तो आसमान ही नहीं देखा जाता है, लेकिन कस्बों और गाँवों में मकर संक्रांति पर आसमान के विस्तृत कैनवास पर रंग-बिरंगी पतंगों का मेला सजेगा.... ऊँगलियों की ताल पर पतंगें थाप देंगी। बच्चे पतंगों के लोच के साथ किलकारी मारेंगे...।
मकर संक्रांति हिंदुओं का एकमात्र ऐसा पर्व होगा, जिसका खगोलीय महत्व तो है, लेकिन इससे कोई पौराणिक आख्यान नहीं जुड़ा हुआ है। सूर्य की आराधना का यह पर्व सृष्टि के कल्याण की कामना से मनाया जाता है। यदि हम आस्तिक हैं तब भी और नहीं है तब भी सूर्य के जीवित देवता होने से इंकार नहीं किया जा सकता है। एक बार फिर से विज्ञान की शरण....क्योंकि यह हमें बताता है कि सृष्टि में एक ऐसा दौर भी रहा है, जिसे हिमयुग कहा जाता है। संक्षेप में ऊर्जा है तभी तो जीवन है....। सूरज हमारे जीवन का आधार है, उसकी धुरी, कारण और केंद्र भी है। सूर्य प्रारंभ है....दिन का...जीवन का....। तो उसकी आराधना के साथ मानव कल्याण की कामना करें...। सभी को मकर संक्रांति, पोंगल, लोहड़ी, संकरात संक्षेप में सूर्य के उत्तरायण होने की शुभकामना....

1 comment:

  1. गुड्डु तमारे भी भोत-भोत बधाई....

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