Wednesday, 21 January 2009

दमन की यात्रा

इस बार नए साल की शुरुआत नए तरीके से करने की सोच लिए दमन की और चल पड़े सोचा तो था कि कुछ बदलेगा ....हम अपने काम...माहौल और जगह से कुछ समय के लिए ही सही दूर होंगें ... राहत तो मिलेगी.... लेकिन हम भूल गए थे कि हम सब कुछ छोड़ सकते है.... अपने आपको कहाँ फ़ेंक सकते है...? और यदि आप राहत में नहीं हो तो फिर कहीं भी राहत नहीं होगी... खैर दमन पहुँचते ही जम्पोर के रेतीले बीच पर रात को आई लहरों के निशान..... सुबह वाक पर गए समंदर की टेरीटरी पर क्रिकेट....और वोलीबोल खेलते बच्चो को देख कर कुछ देर के लिए ही सही ख़ुद को भूल गए नानी दमन पर हमारी उससे मुलाकात हो ही गई....

अगली सुबह जम्पोर के रेतीले बीच की सैर के लिए निकले.... सूरज बस आसमान पर धीरे-धीरे चहलकदमी करते हुए आधे आसमान पर पहुँच चुका था.... लेकिन समंदर मोर्निंग वाक पर था और बच्चे उसके आँगन में धमाचौकडी मचा रहे थे.... रेत पर हांलाकि समंदर के क़दमों के निशान बाकी



थे....



सुबह जब हम नानी दमन बीच पर पहुंचे दूर तक पत्थर नजर आ रहें थे.... न समंदर नजर आ रहा था न ही उसके निशान थे.....थोडी देर बाद भेल वाले ने बताया की अभी समंदर भी तफरीह के लिए गया हुआ है और बस आधे घंटे में लौट आएगा...हमने भी सोचा कि अब इतनी दूर आए है तो उससे मिल कर ही जायें...
लहर दर लहर वो आपके पास आता है... चिढाता...खिजाता और फिर मनाता रहा...हम भी उससे रूठने का नाटक करतें रहें.....बस यूँ ही रुठते मनाते शाम हो गई और विदाई का समय आ खड़ा हुआ...फिर वह धीरे-धीरे दूर और दूर होता चला गया और आख़िर में आंखों से ओझल हो गया बस कारवां गुजर गया गुबार देखते रहें.........









8 comments:

  1. बड़े ही दिलचस्प अंदाज मे लिखा है ।

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  2. रोचक लगी दमन की बातें ..थोड़ा और विस्तार से लिखे ..अच्छा लगा यह

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  3. बहुत रोचक..प्रवाहमय.

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  4. बड़ी मोहनी है लेखनी में


    ---आपका हार्दिक स्वागत है
    चाँद, बादल और शाम

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  5. ताज़गी भरी पोस्ट रही।

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  6. mosem kaisa tha...... ?

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  7. हम यह सोच कर आए थे की दमन के बारे में कुछ बातें होंगी पर आप तो बस समुंदर से ही जूझते रहे. कुछ भी नहीं लेकिन बहुत कुछ. सुंदर पोस्ट है. आभार.

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