इस बार नए साल की शुरुआत नए तरीके से करने की सोच लिए दमन की और चल पड़े सोचा तो था कि कुछ बदलेगा ....हम अपने काम...माहौल और जगह से कुछ समय के लिए ही सही दूर होंगें ... राहत तो मिलेगी.... लेकिन हम भूल गए थे कि हम सब कुछ छोड़ सकते है.... अपने आपको कहाँ फ़ेंक सकते है...? और यदि आप राहत में नहीं हो तो फिर कहीं भी राहत नहीं होगी... खैर दमन पहुँचते ही जम्पोर के रेतीले बीच पर रात को आई लहरों के निशान..... सुबह वाक पर गए समंदर की टेरीटरी पर क्रिकेट....और वोलीबोल खेलते बच्चो को देख कर कुछ देर के लिए ही सही ख़ुद को भूल गए नानी दमन पर हमारी उससे मुलाकात हो ही
गई.... 
अगली सुबह जम्पोर के रेतीले बीच
की सैर के लिए निकले.... सूरज बस आसमान पर
धीरे-धीरे चहलकदमी करते हुए आधे
आसमान पर पहुँच चुका था.... लेकिन समंदर मोर्निंग
वाक पर था और बच्चे उसके आँगन में धमाचौकडी मचा रहे थे.... रेत पर
हांलाकि समंदर के क़दमों के निशान बाकी
थे....
बड़े ही दिलचस्प अंदाज मे लिखा है ।
ReplyDeleteरोचक लगी दमन की बातें ..थोड़ा और विस्तार से लिखे ..अच्छा लगा यह
ReplyDeleteबहुत रोचक..प्रवाहमय.
ReplyDeleteबड़ी मोहनी है लेखनी में
ReplyDelete---आपका हार्दिक स्वागत है
चाँद, बादल और शाम
ताज़गी भरी पोस्ट रही।
ReplyDeletepls write more
ReplyDeletemosem kaisa tha...... ?
ReplyDeleteहम यह सोच कर आए थे की दमन के बारे में कुछ बातें होंगी पर आप तो बस समुंदर से ही जूझते रहे. कुछ भी नहीं लेकिन बहुत कुछ. सुंदर पोस्ट है. आभार.
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