भारतीय राजनीति बहुत बुरे दौर में प्रवेश कर चुकी है। यहाँ बुरे दौर से गुजर रही है का उपयोग नहीं किया गया है, क्योंकि गुजरना शब्द एक उम्मीद पैदा करता है कि जल्द ही सब कुछ ठीक हो जाएगा...लेकिन इन हालात में क्या हम ये सपना भी देख सकते हैं?
लगातार खराब होते जा रहे राजनीतिक हालात में यह कहा जाना ही ज्यादा ठीक है कि भारतीय राजनीति बहुत बुरे दौर में प्रवेश कर चुकी है....। राजनीति में मूल्यों का लोप स्वतंत्रता के बाद से शुरू हुआ तो आज तक उसका नीचे जाना नहीं रूका....पता नहीं ये और कितना नीचे जाएगा.....? भारतीय राजनीति में पैसे और ताकत की भूमिका लगातार बढ़ती जा रही है। इसके साथ ही हमारी विविधता, जिसके बारे में स्वतंत्रता के बाद के समाजशास्त्रियों ने मान लिया था कि लोकतंत्र के विकसित होते ही इसका प्रभाव कम होने लगेगा...लगातार बढ़ती ही जा रही है....राजनीति में हमारे यहाँ धर्म, जाति, क्षेत्र, भाषा और इसी तरह की अन्य कई तरह की विविधताएँ अब और ज्यादा मुखर हो गई है....इन सब ने हमारी व्यवस्था में दबाव और हित समूह का रूप ले लिया है। ऐसे में ये और ज्यादा ताकतवर हुए और लोकतंत्र की बुराई बनकर उभरे है और इसने लोकतंत्र की भावना को नुकसान ही पहुँचाया है...इससे धीरे-धीरे आम आदमी और पढ़ा-लिखा वर्ग राजनीति से दूरी बनाने लगा...और उस शून्य को भरने के लिए अपराधी किस्म के लोगों का जमघट होने लगा। सब तरह से नाउम्मीदी के इस दौर में मीरा सान्याल और मल्लिका साराभाई का राजनीति में प्रवेश उम्मीद की हल्की-सी रेखा के तौर पर दिखाई देने लगी है....। मल्लिका ने तो आडवाणी जैसे हाई प्रोफाईल नेता के खिलाफ चुनाव लड़ने का साहस दिखाया....जबकि हश्र वे भी जानती होंगी....फिर भी देश में राजनीति के प्रति दिखाई दे रही उदासीनता....हताशा और उपेक्षा के दौर में मीरा-मल्लिका की पहल की तारीफ की जानी चाहिए....और उन्हें प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
ये विषयांतर है। हाल ही में मध्यकाल के हिंदी कवि ( ये खड़ी बोली के विकास के प्रारंभिक दौर के कवि रहे हैं) अमीर खुसरो की खुबसूरत लाईनें पढ़ी....आप भी मजा लें
खुसरो दरिया प्रेम का
सो उलटी वाकी चाल
जो उबरा सो डूब गया
जो डूबा सो पार
भाव साम्य आमंत्रित है.....याद रखना भी प्रयोजन है....।
ye ishka nahin asan itna hi samajh lije.....ek aag ka daria hai aur dub ke jana hai.
ReplyDeletekabira yeh ghar prem ka ,khala ka ghar naahi.....sis utare bhue dhare ,so pethe ghar mahi...
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